परदेशी भाग 28


अगले दिन बूढ़ा कमल को लेकर गांव चला गया। जाते समय भी कमल कुछ नहीं बोला। मानो खामोशी ने उसकी आंखों मेें स्थाई रूप से डेरा डाल लिया था।
मधु, बॉबी के घर आई थी उससे मिलने। शारदा देवी को जब उसने बताया कि कमल को उसका बाप लेकर गांव चला गया तब उन्होंने उसे बॉबी से मिलने दिया। मधु, बॉबी के सामने बैठी। दोनों के बीच खामोशी पसरी थी। बॉबी की आंखों के पपोटे सूजे हुए थे, उसकी आंखें अब भी भरी हुई थी। लंबी  खामोशी के बाद उसने मधु से इतना ही पूछा...
कैसा है वो...?
वह तो गांव चला गया। उसके पिता आए थे, वे ले गए उसे।
बॉबी कुछ नहीं बोली, मानो पहले से ही यह जानती थी।
मधु ही फिर बोली, तुम्हारे घर आए थे उसके पिताजी, शायद तुम्हारी मम्मी से बात करने। मगर लौटे तो कुछ नहीं बोले, सिर्फ इतना कहा कि हम गांव जा रहे हैं।
हूं...बॉबी के मुंह से इतना ही निकला।
मधु काफी देर तक इंतजार करती रही कि बॉबी कुछ कहे, मगर बॉबी सूनी आंखों से शून्य को ताकती रही। मधु उठी और भरे मन से वहां से चली आई।
मधु के जाते ही बॉबी उठी और किचन से चाकू उठा लाई। उसकी आंखों में कोई दृढ़ निश्चय चमक रहा था। अंदर आकर वह स्टडी टेबल पर पहुंची। वहां रखा राइटिंग पैड खोला और उस पर एक लाइन लिखी...
कमल तुम्हारे बिना मेरी कोई जिंदगी नहीं। मैं जा रही हूं। बहुत दूर, जहां से कभी कोई वापस नहीं आता। हो सके तो मुझे माफ कर देना।- तुम्हारी बॉबी।
पेन को राइटिंग पैड पर रख दिया। उसके पन्ने फडफ़ड़ा रहे थे। बॉबी बिस्तर पर बैठी और चाकू अपनी कलाई पर रख लिया। आ....ह....एक हलकी सी सिसकारी उसके मुंह से निकली और कलाई से बहने वाला खून बिस्तर का कोना भिगोने लगा। कुछ ही देर में उस पर बेहोशी सी छा गई और वह लेट गई। चाकू उसके हाथ से गिर चुका था।
शारदा देवी दफ्तर जा रही थीं। नीचे उतरीं तो आया से पूछा, बॉबी ने खाना खाया।
नहीं मालकिन बिटिया ने तीन दिन से कुछ भी नहीं खाया।
क्या और तुम मुझे अब बता रही हो। शारदा देवी गुस्से से बोली और बॉबी के कमरे की तरफ चल दीं।
कमरे का दरवाजा अंदर से लगा था, धकेलते ही खुल गया।  सामने का नजारा देखते ही शारदा देवी के मुंह से चीख सी निकली...
बॉ....बी..ई....ई.....ई....रामू, जल्दी दौड़ो। उससे भी ज्यादा तेज आवाज में वे चिल्लाईं।
चीख की आवाज सुनकर ही रामू ने दौड़ लगा दी थी। अंदर का नजारा देखते ही उसने एक पल भी देर न की। बॉबी को गोद में उठाया और नीचे की तरफ दौड़ पड़ा। शारदा देवी भी तेजी से दौड़ीं। रामू बॉबी को कार में लिटा चुका था और उसके हाथ पर एक कपड़ा कसकर बांध दिया था। शारदा देवी भी कार में समा गईं और बॉबी का सिर अपनी गोद में रख लिया। ड्राइवर को बताने की जरूरत नहीं थी कि उसे कहां जाना है। कार डॉक्टर अंकल के क्लीनिक की तरफ दौड़ रही थी।