परदेशी भाग 25


बॉबी अभी बिस्तर पर पड़ी करवटें बदल ही रही थी कि उसे ऐसा लगा मानो किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी हो। उसने अपनी नजरें उठाई और दोबारा दस्तक का इंतजार करने लगी...
ठक..ठक...ठक...
आवाज दोबारा आई तो मगर दरवाजे से नहीं आ रही थी, तभी ठक...ठक...ठक...की आवाज एक बार फिर आई, उसने चेहरा आवाज की दिशा में घुमाया तो खिड़की के कांच के पीछे उसे एक साया नजर आया। पहले तो वह एकदम से डर गई, मगर भीतर से जा रही हलकी रोशनी में जब उसने गौर किया तो वह खुशी से उछल ही पड़ी।
खिड़की के शीशे के दूसरी तरफ कमल का चेहरा नजर आया। वह झटपट उठी और आगे बढ़कर खिड़की खोल दी। कमल अंदर आ गया। बाहर अब भी बारिश हो रही थी, कमल का पूरा बदन भीग चुका था। बॉबी इसकी परवाह किए बिना कि कमल पानी से लथपथ है उसके गले लग गई। बॉबी ने कमल को इस तरह चिपका लिया मानो वह उसके शरीर में ही समा जाना चाहती है। हालत कमल की भी यही थी। उसने भी बॉबी को जोर से अपनी बांहों में भींच लिया। दोनों कुछ देर ऐसे ही खड़े रहे, फिर कमल ने बॉबी को अलग किया और उसके कपड़े देखते हुए कहा...
अरे तुम्हारे कपड़े भी गीले हो गए।
मेरे कपड़ों का छोड़ो, तुम तो बुरी तरह भीग गए हो। चलो कपड़े उतारो नहीं तो ठंड लग जाएगी।
इतना कहकर बॉबी, कमल को पकड़कर बाथरूम में ले गई। उसने कमल के सारे कपड़े उतारे। निचोड़कर वहीं हैंगर पर टांग दिए और हीटर चला दिया। बॉबी, कमल को बाहर ले आई और टॉवेल से उसका सिर पोंछने लगी। सिर पोछते-पोछते उसने पूछा...
तुम यहां कैसे आ गए?
क्या करूं अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जा रहा था, बॉबी। न आता तो मेरी जान ही निकल जाती।
कमल के मुंह पर हथेली रखते हुए प्यार से बोली बॉबी, तुम्हारी जान तो मैं हूं, ऐसे कैसे निकल सकती है। और कभी ऐसा हुआ तो मेरी जान तुमसे पहले निकलेगी कमल।
कमल ने प्यार से उसका हाथ चूम लिया। तब पहली बार उसे खयाल आया कि वह एकदम नंग धड़ंग बैठा है। उसने अपने शरीर की तरफ देखा और हकबका सा गया।
उसने बॉबी से कहा, लाओ टॉवेल दो लपेट लूं।
क्यों ऐसे रहने में शरम आती है क्या, बॉबी शरारत से बोली।
शरम मुझे भला क्यों शरम आएगी।
हूं, आ तो रही है, बॉबी खिलखिलाकर हंस पड़ी।
उसकी हंसी सुनकर कमल ने उसे दबोच लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। बॉबी कमल के शरीरे के नीचे दबी पड़ी थी। कमल का लंड अंगड़ाई लेने लगा था और बॉबी की चूत पर कपड़ों के ऊपर से ही दस्तक दे रहा था। कमल ने प्यार से बॉबी के होंठों को चूम लिया। बॉबी ने उसे बांहों में भर लिया और लरजते हुए बोली...
ओह... कमल तुम नहीं जानते तुम्हारे बिना मेरी क्या हालत हो रही थी।
अब तो मैं आ गया हूं न।
हां..बॉबी इतना ही कह सकी। फिर न जाने उसे अचानक क्या सूझा उसने कमल को अपने ऊपर से हटाया और कहा...तुम वहां खड़े हो जाओ।
क्यों, कमल ने पूछा।
बस खड़े हो जाओ न बॉबी ने इठलाते हुए कहा और तुम्हें मेरी कसम मैं जब तक न कहूं हिलना मत।
ठीक है, कमल ने कहा और हटकर एक तरफ खड़ा हो गया। उसका लंड पूरी तरह तन चुका था और झटके खा रहा था। बॉबी गौर से उसे देख रही थी और उसके हाथ धीरे-धीरे चल रहे थे।
उसने मैक्सी उतारी, फिर चड्ढी और फिर समीज भी उतारकर एक तरफ फेंक दी। जीरो वॉट की बल्ब की रोशनी में बॉबी का नंगा जिस्म सोने की तरह चमक रहा था। उसकी चिकनी चूत आज भी वैसी ही दमक रही थी, जैसी कमल ने पहली बार देखी थी। उसका मन कर रहा था कि अभी कूदकर जाए और उसे मुंह में भर ले, मगर बॉबी की कसम का खयाल आ गया और वह कसमसाता हुआ वहीं खड़ा रहा।
बॉबी इठलाती हुई बिस्तर पर बैठ गई। उसने अपनी एक कोहनी पीछे टिका ली और अधलेटी सी हो गई। टांगे खोल ली, जिससे उसकी चूत पूरी तरह खुल गई और कमल के लंड में लगने वाले झटके और तेज हो गए। फिर उसने अपने एक हाथ से धीरे-धीरे अपनी चूत सहलाना शुरू कर दी।
उसे इस मुद्रा में देखकर कमल ने कहा, बॉबी क्यों तड़पा रही हो। तुम्हें इस हालत में देखकर मेरी हालत खराब हो रही है।
तुमने मुझे इतना तड़पाया है, अब कुछ देर तुम भी तो तड़पो।
बॉबी उसी तरह उसके सामने अपनी चूत को उंगली से सहलाती रही। कभी चूत की फांके खोलकर दिखाती तो कभी चूत के छेद में उंगली घुसेड़कर अंदर-बाहर करने लगी और कमल की हालत ऐसी हो गई थी कि मानो अभी टूट पड़ेगा। अब बॉबी की हालत भी खराब होने लगी थी।
वह बोली, कम ऑन कमल, शुरू हो जाओ।
और बॉबी के मुंह से यह सुनते ही कमल कूदकर उसके पास पहुंचा और जमीन पर दोनों घुटने टेककर बैठ गया। सीधे बॉबी की चूत पर मुंह टिका दिया और जोर-जोर से चाटने लगा। उसकी गीली जीभ बॉबी की चूत को भिगो रही थी और इधर बॉबी के मुंह से सिसकारियों का सैलाब फूट रहा था..
ओ...ओ....ह....ह...क...म....ल....चा...टो.....औ...र...जो...र....से....चा...टो....मे...री...चू....त.... बॉबी अटक-अटककर इतना ही बोल पाई।
कमल जोश में भरकर जोर-जोर से उसकी चूत चाट रहा था। वह भी मानो आज उसे खा जाना चाहता हो। उसने चूत को मुंह में भर लिया और चूसने लगा। बॉबी आनंद से पागल हुए जा रही थी। कमल काफी देर बॉबी की चूत चाटता रहा। फिर खड़ा हो गया। उसका लौड़ा कुतुब मीनार बना हुआ था और बॉबी की चूत में घुसने को बेकरार हो रहा था। कमल जैसे ही बॉबी के ऊपर आया, बॉबी ने उसे हाथ के इशारे से रोक दिया और इसके बाद वह बिस्तर पर उलटी होकर घोड़ी जैसी बन गई। ठीक वैसे ही जैसा कुछ देर पहले अपनी मम्मी को देखकर आई थी। दोनों हाथ-पैर बिस्तर पर टिकाकर उसने अपने चूतड़ों को ऊपर की तरफ उठा दिया और फिर कमल से बोली...
कम ऑन, स्टार्ट कमल।
कमल समझ गया कि उसे क्या करना है। बॉबी के खुले चूतड़ और बीच में नजर आ रहा गांड का छल्ला, नीचे गुलाबी चूत का छेद। कमल की वासना की आग और भड़क उठी। उसने बॉबी के चूतड़ों को और खोला, बॉबी की गांड का गोरा छल्ला खुल और बंद हो रहा था। कमल झुका और प्यार से चूम लिया।
बॉबी बोली, ओह कमल यह क्या कर रहे हो... गंदी जगह है वह।
कमल कुछ नहीं बोला, बल्कि उसने एक बार और बॉबी के चूतड़ों के बीच चूम लिया।
बॉबी सिहर उठी, उसे एक अलग ही आनंद मिला था। वह चाहती थी कि कमल बार-बार इसे चूमे मगर वह मुंह से कह न सकी। कमल उसके मन की बात समझ गया। उसने अपना मुंह उसके चूतड़ों के बीच फंसा दिया और जीभ से उसकी गांड को कुरेदने लगा। बॉबी की सिसकारियां तेज होने लगी। कमल धीरे-धीरे उसकी गांड को जीभ से चाटता और कुरेदता रहा। उसकी उंगली बॉबी की चूत में अंदर-बाहर हो रही थी।
तभी बॉबी बोली, ओ..ह...कमल अब बस करो। चूत में अपना लंड डाल दो, सहन नहीं हो रहा है।
कमल ने मुंह हटाया और खड़ा हो गया। उसने चूतड़ों के नीचे से नजर आ रहे बॉबी की चूत के छेद में अपना लंड टिकाया और हौले-हौले अंदर घुसाने लगा। जैसे-जैसे कमल का लंड बॉबी की चूत में अंदर जा रहा था, उसके चूतड़ ऊपर को उठते जा रहे थे।
कमल का लंड जड़़ तक चूत में समा गया तो बॉबी बोली... ओ..ह...कम...म...ल... अब बस शुरू  हो जाओ।
बॉबी के मुंह से इतना सुनते ही कमल अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा। उसका एक हाथ बॉबी की कमर से होता हुआ उसकी चूत के अगले हिस्से तक पहुंच गया था। वह चूत के दाने को सहलाने लगा और धक्का लगाने लगा। बॉबी की चूत में कमल का लंड किसी पिस्टन की तरह अंदर-बाहर हो रहा था और बॉबी अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ उछालकर हर धक्के का जवाब दे रही थी। कमरे में दोनों की सिसकारियां और धक्के की आवाज ही गूंज रही थी और फिर कमल के लंड ने बॉबी की चूत को अंदर तक नहला दिया और बस इसी समय बॉबी के मुंह से तेज सिसकारी निकली और उसकी चूत ने कमल के लंड को जोर से भींच लिया।
कमल ने लंड बाहर निकाला और बिस्तर पर लेट गया। वह बुरी तरह हांफ रहा था। बॉबी की चूत के पानी और वीर्य से लंड गीला हो रहा था। बॉबी उठी और एक कपड़ा लेकर प्यार से उसे पोंछा। कमल अब भी लेटा था और बॉबी प्यार से उसका लंड सहला रही थी। सहलाते-सहलाते उसने उसे मुंह में भर लिया। बॉबी की जीभ का गीलापन और मुंह की गर्मी से कमल का लंड फिर से अंगड़ाई लेने लगा। बॉबी काफी देर तक चुसक-चुसक कर उसे चूसती रही। उसकी वासना की आग फिर भड़कने लगी थी। कमल के लंड को अपने थूक से पूरी तरह गीला करने के बाद वह उठी और कमल की कमर के इर्द-गिर्द अपनी टांगे डालकर इस तरह बैठ गई कि उसका लंड सीधा चूत के छेद पर आ टिका।
बॉबी धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी और कमल का लंड उसकी चूत में घुसता चला गया। इस बार धक्के मारने की बारी बॉबी की थी और बॉबी ने साबित कर दिया कि इस मामले में वह किसी तरह कमल से कम नहीं है। वह इतनी जोर-जोर से कमल के लंड पर उछल रही थी कि बिस्तर भी चरमराने लगा। और फिर वह पल आ गया जो बॉबी की चूत को तृप्त करने वाला था। उसने कमल का सिर उठाकर अपने सीने से लगा लिया और जोरदार तरीके से धक्के मारने लगी। कमल बॉबी की चूंचियों को चूसने लगा। इधर कमल के लंड ने वीर्य उगला और उधर बॉबी की चूत की प्यास बुझ गई।
बॉबी उठी और बाथरूम में जाकर पेशाब करके आ गई। कमल अब भी बिस्तर पर ही लेटा था। वह भी उसी के पास लेट गई। दोनों एक दूसरे की बांहों में समा गए और काफी देर ऐसे ही पड़े रहे।
दोनों के ही पास मानो कहने को कुछ नहीं था। एक खामोशी सी उनके बीच पसरी थी। तभी चिडिय़ों की चहचहाट सुनाई दी तो बॉबी चौंककर उठी। उसने खिड़की के बाहर देखा तो भोर का हलका उजाला फैल रहा था।
वह कमल से बोली, कमल जल्दी उठो। अब जाओ नहीं तो सुबह हो जाएगी और तुम निकल नहीं पाओगे।
बॉबी निकलना भी कौन चाहता है।
कमल तुम नहीं जानते, मम्मी के लठैतों ने तुम्हें यहां देख लिया तो वे तुम्हारी जान ले लेंगे।
तुम्हारे बिना जीकर भी क्या करूंगा बॉबी। ऐसे तो मर जाना ही अच्छा।
देखो कमल मुझे रुलाओ मत। जाओ यहां से तुम्हें मेरी कसम। बॉबी भरे गले से बोली।
ठीक है बॉबी जाता हूं, मगर समझ नहीं आ रहा कि कैसे रह पाउंगा तुम बिन।
जो कुछ होगा, अच्छा ही होगा। भगवान कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेंगे। जैसे आज निकाला।
हूं...कमल ने इतना ही कहा और वह उठ गया। बॉबी उसके कपड़े लेने बाथरूम में चली गई। कुछ ही देर में वह लौट आई। कमल के कपड़े पूरी तरह सूख चुके थे। कमल ने कपड़े पहने और बॉबी के होंठों को चूमकर खिड़की की तरफ घूम गया। बॉबी आंखों में आंसू लिए उसे जाता देखती रही। वह उसे रोकना चाह रही थी, मगर मजबूर थी। कमल खिड़की से निकला और पाइप के सहारे उतरने लगा।