परदेशी भाग 26


धप्प की आवाज के साथ कमल के कदम ने जमीन को छुआ। बॉबी खिड़की पर ही खड़ी होकर कमल को देख रही थी। कमल ने एक बार फिर ऊपर की तरफ देखा और बॉबी का रुंआसा चेहरा देखकर उसके सीने पर घूंसा सा लगा। वह कुछ कहना ही चाहता था कि तभी एक कड़कदार आवाज सुनाई दी...
कौन है, वहां...।
कमल और बॉबी दोनों चौंक पड़े। बॉबी ने कमल को भागने का इशारा किया। कमल तेजी से बाउंड्रीवाल की तरफ भागा, मगर उससे भी तेजी से दोनों लठैत लाठी थामे हुए पीछे की तरफ आ चुके थे। उन्होंने कमल को भागते हुए देख लिया और ललकार कर रुकने को कहा। कमल रुका नहीं, वह बॉउंड्री पर चढऩे की कोशिश कर ही रहा था कि तभी एक लठैत ने पहुंचकर उसकी टांग पकड़कर खींच ली। कमल धड़ाम से जमीन पर गिरा। पानी और कीचड़ से उसके कपड़े भर गए। यह देखकर बॉबी के मुंह से चीख सी निकली।
कमल के जमीन पर गिरते ही दोनों लठैत कमल को पीटने लगे। कमल के बदन पर पडऩे वाली हर चोट पर बॉबी के मुंह से चीख निकलती। शोर-शराबा सुनकर शारदा देवी भी उठ गई और मैक्सी के बटन बंद करते हुए बाहर निकल आई। बॉबी बाहर निकलना चाहती थी, मगर दरवाजा बाहर से बंद था। वह खिड़की पर बेबसी से खड़ी थी और चीख-चीखकर दोनों को कमल को न पीटने के लिए कह रही थी।
शारदा देवी पीछे की तरफ आईं। कमल को जमीन पर पिटते देखा और पूछा,
क्या हो रहा है रामू कौन है ये?
मालकिन पता नहीं कौन है। अंदर से भागने की कोशिश कर रहा था कि हमने पकड़ लिया।
तभी बॉबी की आवाज शारदा देवी के कानों में पड़ी, मम्मी रोक लो न इन दोनों को। क्यों मार रहे हैं इसे।
शारदा देवी ने एक नजर उठाकर देखा बॉबी खिड़की पर खड़़ी थी और उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। तभी उनकी नजर कमल के चेहरे पर पड़ी और वे सारा माजरा समझ गईं। इधर दोनों लठैत अब भी कमल को पीट रहे थे। शारदा देवी ने हाथ के इशारे से उन्हें रुकने को कहा।
उन्होंने कमल की तरफ देखा, उसके मुंह, माथे और हाथों से खून बह रहा था। उसके कपड़े पूरी तरह फट चुके थे।
शारदा देवी ने गुर्राकर पूछा, क्यों आए थे यहां?
कमल कुछ नहीं बोला, बस कराहता रहा। इधर बॉबी ऊपर खड़ी आंसू बहा रही थी।
वह वहीं से चिल्लाई, इसकी कोई गलती नहीं है मम्मी मैने ही इसे बुलाया था।
ओह...तो यह बात है। अब बात यहां तक पहुंच गई। इसकी इतनी हिम्मत हो गई कि हमारी कोठी में घुसे।
फिर वे कमल की तरफ मुड़़ी और बोली, लड़के एक बात अच्छे से समझ लो तुम जमीन पर रहकर आसमान का सपना देख रहे हो जो कभी पूरा नहीं होगा। अपनी जान की सलामती चाहते हो तो बॉबी से दूर ही रहो।
कमल कराहते-कराहते उठा। उसके हाथ-पैर में जान नहीं बची थी। वह बोला, आंटी, मैं बॉबी सेे प्यार करता हूं।
खामोश, शारदा देवी जोर से दहाड़ी। अब एक बार और तुम्हारे मुंह से मेरी बेटी का नाम निकला तो बेवजह मारे जाओ।
फिर वे दोनों लठैतों की तरफ मुड़ीं और चिल्लाकर बोलीं, तुम दोनों खड़े-खड़े देख क्या रहे हो। उठाकर बाहर फेंक दो इस मजनूं को। और इसे ठीक से समझा देना कि अगली बार अगर ये यहां दिखा तो अपने पैरों पर चलकर नहीं जा पाएगा।
शारदा देवी के इतना कहते ही दोनों कमल के एक कांधे को पकड़ा और उसे घसीटते हुए गेट की तरफ ले जाने लगे। इधर बॉबी ऊपर से चीख रही थी...
मम्मी छोड़ दो कमल को। उसे कुछ मत करो। अब वह कभी यहां नहीं आएगा। प्लीज मम्मी छोड़ दो उसे। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं।
बॉबी की बात को अनसुनी करते हुए शारदा देवी अंदर चली गईं। इधर दोनों लठैतों ने कमल को गेट के बाहर फेंक दिया। कमल किसी तरह उठा और लडख़ड़ाते हुए कमरे की तरफ चल पड़ा।