परदेशी भाग 29


बॉबी होश में आ चुकी थी और बिस्तर पर लेटी सूनी-सूनी आंखों से छत को एकटक निहार रही थी। उसके हाथ पर पट्टी बंधी और दूसरा हाथ शारदा देवी ने अपनी हथेलियों के बीच ले रखा था। वे रुंधे गले से बोलीं,
बॉबी ये तूने क्या कर लिया। तुझे कुछ हो जाता तो मैं क्या करती। तेरे सिवा मेरा है ही कौन।
बॉबी वैसे ही छत को ताकती रही।
बॉबी मेरी, बच्ची मुझे नहीं पता था। तू ऐसा भी कोई कदम उठा सकती है। तेरे प्यार पर मुझे यकीन आ गया। चल हम अभी गांव चलेंगे और कमल के पिता से तेरी और कमल की शादी की बात मैं खुद करुंगी। मुझे उनसे माफी भी मांगना है।
शारदा देवी के मुंह से इतना सुनते ही बॉबी का चेहरा खिल उठा, वह चहकते हुए बोली, सच मम्मी।
हां मेरी बच्ची। तू है तो मैं हूं। तेरी खुशी के खातिर ही तो जी रही हूं। तू ठीक हो जा हम गांव चलेंगे।
नहीं मम्मी हम अभी चलेंगे।
मगर बॉबी तेरी तबियत ठीक नहीं है।
मुझे कुछ नहीं हुआ मम्मी, अब मैं ठीक हूं। हम अभी चलेंगे मम्मी।
ठीक है मेरी बच्ची। हम अभी चलेंगे। शारदा देवी उसके सिर को सहलाते हुए बोली।
डॉक्टर अंकल एक तरफ खड़े-खड़े मुस्कुरा रहे थे। वे बोले, बदमाश लड़की, अब ऐसा किया तो मोटी वाली सुई लगाउंगा।
माफ कर दो अंकल अब ऐसा नहीं करुंगा। बॉबी कान पकड़ते हुए बोली और झटपट खड़ी हो गई।
शारदा देवी ने डॉक्टर की तरफ देखा, उन्होंने सहमति में सिर हिलाया और कहा यह ठीक है और फिर मैं भी साथ चल रहा हूं न। चिंता की कोई बात नहीं है।
शारदा देवी की कार गांव की तरफ दौड़ी जा रही और उससे भी तेजी से दौड़ रहा था बॉबी का मन। वह उड़कर कमल के पास पहुंच जाना चाहती थी। धूल उड़ाते हुए कार ने गांव के कच्चे रस्ते पर प्रवेश किया और बॉबी का दिल बल्लियों उछलने लगा। वह सोच रही थी कि कमल उसे अचानक अपने सामने देखेगा तो कैसा झटका लगेगा उसे।
यही सब सोचते-सोचते कार ने गांव में प्रवेश किया। बॉबी अपनी सोचों में इस कदर गुम थी कि उसका ध्यान नहीं गया कि गांव में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है।