परदेशी भाग 20


बॉबी को कॉलेज न आते हुए पांचवा दिन था। कमल का मन क्लास में, दोस्तों के साथ, पढ़ाई में नहीं लगता था। वह बस बगीचे में अकेला बैठा बॉबी के खयालों में गुम रहता था। आज भी वह बगीचे में बैठा था, तभी मधु वहां पहुंची। जब वह कमल के एकदम सामने जाकर खड़ी हो गई तो कमल की तंद्रा टूटी। वह अचकचाकर मधु को देखने लगा।
मधु कुछ देर उसे देखती रही और फिर बोली, यहां क्या कर रहे हो। क्लास में क्यों नहीं बैठे?
कमल ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया।
मधु फिर बोली, लगता है बॉबी की याद आ रही है जनाब को।
कमल ने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर उसकी आंखे डबडबा आई, उसने सिर झुका लिया।
मधु ने फिर कहा, जिसकी याद में तुम यहां देवदास बने बैठे हो, वह किसी और की बांहों में सहारा ढूंढ रही है।
मधु, कमल जोर से चिल्लाया। अपनी हद में रहो।
मैं तो हद में ही हूं कमल, मगर लगता है तुम्हारा प्यार अब सारी हदें पार कर रहा है।
मधु मैं जानता हूं, तुम्हारे मन में क्या है, मगर बॉबी पर इस तरह के आरोप लगाकर तुम मुझे हासिल नहीं कर पाओगी, कमल ने गुस्से में कहा और उठकर वहां से जाने लगा।
क्यों तुममें ऐसी क्या खास बात है कि मैं तुम्हें हासिल करना चाहूंगी। मेरे आगे पीछे नाचने वाले लड़कों की कमी नहीं है। मैं तो बस तुम्हारी आंखें खोलना चाहती हूं।
कमल ठिठका और मधु की आंखों में झांककर दांच भींचते हुए बोला, मुझे तुम्हारे इस अहसान की जरूरत नहीं। बॉबी सिर्फ मेरी है और मैं उसका।
इतना कहकर कमल पलटा और जाने लगा कि फिर ठिठका और घूमकर बोला, और हां मैं आज ही तुम्हारा कमरा खाली कर दूंगा।
मधु ने लापरवाही के कंधे उचकाए, जैसी तुम्हारी मर्जी, मगर जाने के पहले जरा इन पर नजर मार लेना। मधु बेंच पर एक लिफाफा फेंककर चली गई।
कमल कुछ देर तो उसे जाते हुए देखता रहा, फिर उसकी नजरें लिफाफे पर पड़ी। वह उसे इस तरह देखता रहा मानो उसमें बम है और हाथ लगाते ही फट जाएगा।
आखिर उसने लिफाफा उठा ही लिया और जैसे ही उसे खोला, वाकई धमाका हुआ। यह धमाका कमल के दिलो-दिमाग में हुआ था।
लिफाफे में कुछ तस्वीरें थीं। तस्वीरें एक  के बाद एक विस्फोट करती जा रही थीं। कमल के दिल में जैसे कोई आरी चला रहा था। वह धम्म से वहीं बेंच पर गिर सा पड़ा।
उन तस्वीरों में बॉबी एक लड़़के के साथ नजर आ रही थी। किसी तस्वीर में वह लड़के की बांहों में थी तो किसी में उसकी गोद में सिर रखकर लेटी थी। किसी में लड़का बॉबी के माथे को चूम रहा था तो किसी में उसका हाथ बॉबी के नितंबों पर रखा नजर आ रहा था। कमल ने उन तस्वीरों को कई बार देखा कि शायद बॉबी की जगह किसी और का चेहरा नजर आ जाए, मगर वह बॉबी का ही चेहरा था।
कमल को भरोसा नहीं हो रहा था कि बॉबी उसे धोखा दे सकती है, मगर तस्वीरें सामने थीं, जो झूठ नहीं बोल रही थीं।
अगले ही दिन बॉबी कॉलेज में नजर आई। सीधे प्रिंसिपल के कमरे में पहुंची और अपने आने की सूचना दी। प्रिंसिपल ने उसे बताया कि वह सबको चेतावनी दे चुके हैं और अब ऐसी हरकत दोबारा नहीं होगी। वह कॉलेज ज्वाइन कर सकती है।
प्रिंसिपल के केबिन से निकलते ही बॉबी की नजरें कमल को खोजने लगीं, मगर वह कहीं नजर नहीं आया। क्लास में गई कि शायद वहां बैठा हो, मगर वहां भी नहीं था। बॉबी ने मधु से पूछा तो उसने भी अनभिज्ञता से कांधे उचका दिए।
आखिर इंटरवल में बॉबी बगीचे में बैठी थी कि तभी सामने से कमल आता नजर आया। उसे देखते ही बॉबी का चेहरा खिल उठा, वह दौड़कर उसकी बांहों में समा जाना चाहती थी, मगर फिर खुद को कंट्रोल कर लिया।
कमल उसके सामने आकर खड़ा हुआ और उसके मुंह पर लिफाफा मारते हुए बोला यह क्या है?
कमल...बॉबी केवल इतना कह सकी, कि उसकी नजर जमीन पर गिरे लिफाफे और उससे बाहर झांकती तस्वीर पर पड़ गया जिसमें वह किसी और की बांहों में नजर आ रही थी।
उसने लिफाफा उठाया और तस्वीरें निकालकर जल्दी-जल्दी देख डाली। तस्वीरों को देखकर जैसे वह मूर्ति बन गई।
कमल ने दांत भींचते हुए कहा, तुम ऐसी निकलोगी मैने सपने में भी नहीं सोचा था।
कमल, मेरी बात तो सुनो। ये सच नहीं है। मैने ऐसा कुछ नहीं किया।
इतना सुनते ही कमल आपा खो बैठा। उसका हाथ घूमा और तड़ाक.. की आवाज आई। बेवफा, अब भी कहती है कि तूने कुछ नहीं किया।
क...म...ल....। बॉबी के मुंह से केवल यही शब्द निकला।
शहर की लड़कियां छिनाल होती हैं, यह मैने सुना था, मगर तू भी ऐसी होगी यह नहीं सोचा था। आज के बाद मुझे अपनी शकल तक मत दिखाना।
इतना कहकर कमल तेजी से पलटा और चला गया। बॉबी अब भी बुत बने वहीं खड़ी थी। सूनी नजरों से कमल को जाते देख रही थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। कमल उसकी आंखों से ओझल हो गया तो जैसे उसकी चेतना लौटी।
वह धम्म से बेंच पर बैठ गई। काफी देर तक वहां बैठी आंसू बहाती रही। फिर उठी और घर के लिए चल दी। यह ठान कर कि अब कभी कमल के सामने नहीं पड़ेगी। उनके प्यार के बीच का विश्वास चकनाचूर हो चुका था और अब प्यार था ही कहां। वह कल से कॉलेज आना बंद कर देगी। यही सब सोचते-सोचते बॉबी कॉलेज का गेट पार कर गई।