परदेशी भाग 18


बॉबी को कार में बैठता देख सारे लड़के वापस भीतर लौट गए। उनमें से एक ने कहा - गुरू चिडिय़ा तो उड़ गई। एक कार में बैठकर निकल गई।
विनोद और रंजीत गुस्से में लाल हो गए। अचानक विनोद चीखा - उतारो इसकी साले की पतलून। आज इसकी गांड ही मारेंगे। यही सोच लेंगे कि बॉबी नहीं तो उसके यार की गांड ही सही।
सारे लड़के कमल की पतलून खींचने लगे। तभी वहां गोली की आवाज गूंजी...धांय.... और इसी के साथ एक रौबदार आवाज आई - इसे छोड़ दो, नहीं तो एक-एक को भूनकर रख दूंगा।
विनोद और रंजीत सहित सबने पलटकर देखा तो कोट-पैंट पहने एक व्यक्ति को सामने खड़े पाया, जिसके हाथ में रिवाल्वर था। उसके पीछे बॉबी खड़ी थी।
आगंतुक ने एक बार फिर चेतावनी देने वाले लहजे में कहा, - उसे छोड़ो और यहां से दफा हो जाओ, नहीं तो अपने अंजाम के जिम्मेदार तुम लोग खुद होओगे।
इस बार जैसे सभी नींद से जाए और भाग खड़े हुए। बॉबी कमल को संभालने में लग गई। वह बुरी तरह घायल था। उसे मुंह से खून बह रहा था। कपड़े फट गए थे। हाथ-पैर में भी चोट आई थी। बॉबी ने अपने मददगार की सहायता से कमल को उठाया और बाहर तक लाकर कार की पिछली सीट पर लेटा दिया। आगंतुक ने ड्राइविंग सीट संभाली और कार फर्राटे मारती हुई निकल गई। कुछ ही दूर छिपकर बैठे विनोद और उसकी टोली के लड़के हाथ मलते रह गए।
कार में बॉबी पीछे की सीट पर कमल का सिर गोद में लेकर बैठी थी। उसने कहा, - तुम ठीक तो हो ना?
कमल ने कहा हां मैं ठीक हूं। मगर ये कौन हैं?
बॉबी बोली, - भगवान का शुक्र है कि सही समय पर कार की आवाज सुन ली और मैं बाहर दौड़ पड़ी। कार में डॉक्टर अंकल निकले। उन्हें सारी बता बताई तो वे तुरंत मेरे साथ अंदर आ गए।
डॉक्टर अंकल उन्हें अपने क्लिनिक ले आए और वार्ड ब्याय की सहायता से कमल को उतारकर एक बेड पर लेटा दिया। फिर बॉबी से बोले, - तुम घर जाओ। तुम्हारी मम्मी चिंता कर रही होंगी।
लेकिन कमल, बॉबी ने कुछ कहना चाहा।
उसकी चिंता तुम मत करो। अब ये मेरी क्लिनिक पर है। इसे ठीक होने के बाद ही यहां से जाने दूंगा। तुम जाओ।
बॉबी ने हां में सिर हिलाया और कमल के पास आकर उसका माथा चूमा और फिर भरी आंखों से वहां से निकल गई। डॉक्टर अंकल का ड्राइवर कार लिए बाहर उसका इंतजार कर रहा था।