परदेशी भाग 17



कमल, बॉबी को साइकिल पर बैठाकर मस्ती से चला आ रहा था। इधर पुराने किले पर विनोद और रंजीत पहुंचे तो थे, मगर दोनों को वहां न पाकर मायूस हो गए। काफी देर उन्होंने वहां इंतजार किया और अब बाहर खड़े होकर यही सोच रहे थे कि दोनों कहां गए होंगे। वे लोग भी बस निकलने का सोच ही रहे थे कि तभी एक लड़के ने दोनों को इधर ही आते देख लिया और वह चिल्ला पड़ा,
गुरू वो देखो, चिडिय़ा अपने यार के साथ आ रही है।
तब तक विनोद की नजर पर भी दोनों पर पड़ चुकी थी, वह आदेश देते हुए बोला,
देख क्या रहे हो, दोनों को पकड़ लो और ले चलो अंदर। आज तो किस्मत भी हमारा साथ दे रही है।
कमल और बॉबी मस्ती में बातें करते हुए चले जा रहे थे, इस बात से बेखबर की आगे बड़ी मुसीबत उनका इंतजार कर रही है। दोनों का ध्यान तब टूटा जब सामने विनोद और रंजीत को अपनी टोली के साथ सड़क के बीचो-बीच खड़े देखा। उन्हें देखते ही कमल की भौंहें तन गई। वह जानता था कि वे बॉबी पर बुरी नजर रखते हैं और हमेशा बदतमीजी करने का बहाना ढूंढा करते हैं। वह गुस्से से बोला,
यह क्या हरकत है। इस तरह हमारा रास्ता क्यों रोककर खड़े हो?
हरकत तो तुझे हम बताएंगे भैनचोद। साले मजनूं की औलाद। विनोद साइकिल का हैंडल थामकर बोला। उसकी नजरें लगातार बॉबी पर ही टिकी हुई थीं। कमल कुछ कहता इसके पहले बॉबी बोल पड़ी,
यह तुम ठीक नहीं कर रहे हो। तुम जानते नहीं मेरी मम्मी को।
तेरी मम्मी से हमे क्या लेना छमिया, हम तो तेरी चूत के दीवाने हैं। इस बार रंजीत बेशर्मी से बोला।
रंजीत के मुंह से इतना सुनते ही कमल आपे से बाहर हो गया।
वह गुस्से से चिल्लाया- साले, तेरे मुंह से बॉबी के लिए ऐसी वाहियात बात निकली कैसे?
क्यों, प्यारे इसकी चूत पर क्या तेरे नाम का ठप्पा लग गया है। मादरचोद, तू चोदे और हम बात भी नहीं कर सकते। विनोद हंसते हुए बोला।
कमल की मुट्ठियां गुस्से से भिंचने लगी। तभी बॉबी बोली, कमल इनके मुंह लगने का कोई मतलब नहीं। चलो यहां से।
जाओगी कैसे मेरी रानी, इस बार विनोद ने बॉबी का हाथ पकड़ लिया और कमीनगी से बोला- बड़े दिनों से तेरी चूत मारने के सपने देख रहे थे। आज तो सपना पूरा होने जा रहा है।
अब कमल के सब्र का बांध टूट गया उसने विनोद को एक थप्पड़ रसीद कर दिया और चिल्लाया,
साले, बॉबी को हाथ भी लगाया तो तेरी मां चोद दूंगा।
विनोद का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, वह बोला,
साले तू क्या हमारी मां चोदेगा, आज तो तेरी छमिया तेरी ही आंखों के सामने हम सबसे चुदेगी। फिर वह अपनी टोली से बोला, पकड़ लो दोनों को और ले चलो अंदर।
रंजीत और चार-पांच लड़कों ने कमल को पकड़ लिया और उसे घसीटने लगे। कमल संघर्ष कर रहा था, मगर इतने लड़कों से वह अकेले नहीं लड़ सकता था। इधर विनोद ने बॉबी को कंधे पर उठाया और किले की तरफ बढ़ गया। अंदर जाकर रंजीत और सारे लड़कों ने कमल को जमीन पर पटक दिया और उसे लात-घूंसों से पीटने लगे। तब तक विनोद भी बॉबी को उठाए पहुंच गया। उसने बॉबी को उतार दिया। बॉबी कमल की तरफ दौड़कर गई और उसके ऊपर लेट गई।
वह हाथ जोड़कर विनती करने लगी, - इसे मत मारो। मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं।
विनोद उसे खींचते हुए बोला,- मेरी जान हाथ जोडऩे से क्या होगा। अब तू तय कर ले कि प्यार से चुदेगी या तेरा बलात्कार करना पड़ेगा। सोच ले प्यार से हमारी बात मान लेगी तो तेरे यार को छोड़ देंगे नहीं तो मार-मार कर इसका हुलिया बिगाड़ देंगे। चूत तो तेरी फिर भी चुदेगी।
कमल चिल्लाया, नहीं बॉबी इन कमीनों की बात मत मानना। तुम यहां से भाग जाओ।
भागकर कहां जाएगी साले मादरचोद। भागने के लिए तो इसे नहीं पकड़ा है। रंजीत कहकहे लगाते हुए बोला।
विनोद ने फिर बॉबी से कहा, - सोच क्या रही है, साली तेरी चूत घिस तो जाएगी नहीं। कितनी बार अपने यार से चुद चुकी है। एक बार हमे भी मौका दे। खुश न कर दिया तो कहना।
बॉबी उनके हाथ जोडऩे लगी,- हमे छोड़ दो प्लीज। हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं। ऐसा मत करो प्लीज।
तो हम कौन सा तेरा प्यार मांग रहे हैं। बस एक बार तेरी चूत ही तो मारना चाहते हैं। फिर तू इससे प्यार करती रहना, कौन रोक रहा है। यह कहकर विनोद ने बॉबी को छोड़ दिया और बोला, - अब तू कपड़े उतारना शुरू कर रही है या तेरे यार की और पूजा की जाए।
कमल चिल्लाया, - नहीं बॉबी इन कमीनों के सामने कपड़े मत उतारना। तुम भाग जाओ।
कमल के इतना कहते ही रंजीत ने उसे फिर पीटना शुरू कर दिया और बोला, - साले तेरे अंदर बहुत चर्बी है, पहले उसे बाहर करता हूं।
कमल को यूं पिटता देख बॉबी से रहा नहीं गया - वह जोर से चिल्लाई, प्लीज मत मारो इसे, मैं कपड़े उतारती हूं।
नहीं बॉबी, कमल ने चिल्लाकर कहा- तुम्हें मेरी कसम। इनके सामने नंगी मत होना।
नहीं कमल मेरी चूत तुम्हारी जान से ज्यादा कीमती नहीं। तुम्हारे लिए तो मैं जान भी दे सकती हूं, ये चूत तो चीज ही क्या है।
कमल नीचे पड़ा-पड़ा बेबसी से कसमसा रहा था और इधर बॉबी ने अपने शर्ट की बटन खोलनी शुरू कर दी। विनोद और रंजीत के साथ उनकी पूरी टोली होंठों पर जीभ फेरते हुए बॉबी को ही देख रहे थे। अचानक पता नहीं क्या हुआ कि बॉबी ने बाहर की तरफ दौड़ लगा दी।
यह देख रंजीत चिल्लाया, - गुरू चिडिय़ा तो भाग रही है।
पकड़ो उसे, विनोद ने चिल्लाकर कहा।
सारे लड़के बॉबी के पीछे भागे। अंदर केवल विनोद और रंजीत रह गए। वे अपना गुस्सा कमल पर निकालने लगे। इधर बॉबी तेजी से निकलकर सड़क पर आ गई थी। और एकाएक एक कार आकर उसके सामने रुकी। वह उससे टकराते-टकराते बची। कार का दरवाजा खुला और बॉबी उसमें समा गई।