नंगी लड़कियां...2


अगले दिन शाम की ट्रेन से मानसी मुंबई के लिए रवाना हो गई। दूसरे दिन मुंबई पहुंच गई। रेलवे स्टेशन से निकलकर टैक्सी ली और अंकल ने फोन पर उसे बोरीवली का जो एड्रेस दिया था, उस पते पर पहुंच गई। अंकल का बंगला काफी शानदार था। बंगला दो मंजिला था, नीचे बड़ा सा हॉल था, जिसमें से ऊपर के कमरों से लिए सीढिय़ां जा रही थी। नीचे किचन और अंकल-आंटी का कमरा और एक और कमरा था। ऊपर करीब छह कमरे थे, जो अलग-अलग लड़कियों को दिए गए थे। कुछ कमरों में लड़कियां शेयरिंग में रहती थीं तो कुछ में अकेली। मानसी ने अकेले रहना पसंद किया और उसी के मुताबिक बात की थी।
मानसी जब टैक्सी से उतरी तो बंगले के बाहर खड़े एक लड़के से उसका सामना हो गया। न जाने क्यों मानसी को उसकी नजरें ठीक नहीं लगी और उसे मां की सीख याद आ गई। उसने लड़के को नजरअंदाज किया और मेन गेट खोलकर अंदर चली गई। दरवाजे की कॉलबेल बजाई तो आंटी ने दरवाजा खोला। उसे सवालिया नजरों से देखने लगी तो मानसी बोली,
आंटी मैं मानसी, इंदौर से। आपसे कमरे के लिए बात हुई थी।
आंटी बोली, हां-हां आओ मानसी।
मानसी सामन लेकर अंदर गई। अंदर सोफे पर अंकल बैठे थे। आंटी ने मानसी का परिचय उन्हें दिया तो वे तपाक से उठकर मानसी के पास आए और उसे गले लगा लिया। मानसी उनका लाड़ देखकर गद्गद् हो गई। उसे लगा कि वह सही जगह आ गई है। तभी वही लड़का अंदर आ गया जो उसे बाहर मिला था। अंकल ने उसका परिचय मानसी से करवाया कि यह रंजन है, पड़ोस में रहता है, हमने इसे बेटे की तरह माना है। फोटोग्राफर है, वीडियो फिल्में भी बनाता है। एड एजेंसी में काम करता है। न जाने क्यों मानसी को रंजन की निगाहें खटक रही थीं। रंजन हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया तो मानसी ने हाथ जोड़कर नमस्ते से काम चला लिया। उसे नजरअंदाज करते हुए मानसी अंकल से बोली कि अंकल किराया ले लीजिए और फार्मेलिटी पूरी कर लीजिए।
अंकल बोले, इतनी जल्दी क्या है, तुम लंबे सफर से आई हो। जाकर फ्रेश हो जाओ। थोड़ा आराम कर लो। फार्मेलिटी तो शाम को भी हो जाएगी। वैसे भी कल से तुम्हें ऑफिस जाना है। मुंबई की फास्ट लाईफ में रम जाओगी।
तभी पलक भी ऊपर से आ गई। मानसी उसे तुरंत पहचान गई, क्योंकि दोनों की इंटरनेट पर वीडियो चैटिंग के जरिए कई बार बात हुई थी। दोनों गले मिलीं। सफर की बातें होने लगीं कि तभी अंकल चाबी देते हुए बोले,
पलक इसे, इसके कमरे तक ले जाओ।
इतना कहकर अंकल चले गए। मानसी ने भी अपना सामान उठाया और पलक के पीछे-पीछे चल दी। पलक एक कमरे के सामने रुक गई और बोली यह तुम्हारा कमरा है। वो सामने वाला मेरा। किसी चीज की जरूरत लगे तो बुला लेना। इतना कहकर पलक अपने कमरे में चली गई। मानसी ने लॉक खोला और कमरे में आकर सामान एक तरफ रख बिस्तर पर गिर गई। ट्रेन में लंबा सफर करने के कारण वो काफी थक चुकी थी। फे्रश होकर आराम करना चाहती थी। बैग खोलकर लोअर और टी-शर्ट निकाला और बाथरूम में घुस गई।