नंगी लड़कियां...1

मानसी ने अभी-अभी एक बड़े मैनेजमेंट कॉलेज से एमबीए किया था। वो जानती थी कि छोटे शहर में रहकर उसे अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती। इसीलिए वो मुंबई जाने के  ख्वाब देखने लगी।  डायनिंग टेबल पर एक दिन उसने अपने मन की बात अपने पैरेंट्स को बता ही दी-
मम्मी-पापा, मैं जॉब के लिए मुंबई जाना चाहती हूं।
बेटी, मुंबई जैसे बड़े शहर में तुम अकेली कैसे रहोगी? क्या करोगी? उसकी मां ने कहा।
नहीं मम्मी यहां इस शहर में कोई ढंग का जॉब नहीं मिल सकता। मैने तय कर लिया है कि मुंबई जाना ही होगा।
मगर मानसी तुझे अकेले नहीं भेज सकते। सोच कुछ ऊंच-नीच हो गई तो कौन जवाबदार होगा। वैसे भी जवान लड़की पके फल की तरह होती है, हर कोई खाना चाहता है। मां ने समझाने की कोशिश की।
मम्मी मैं छोटी बगाी नहीं हूं। अपना भला-बुरा खुद समझती हूं। और आप लोगों को मुझ पर यकीन है कि नहीं। मानसी ने थोड़ा तेज आवाज में कहा।
अब तक खामोशी से डिनर कर रहे उसके पापा पहली बार बीच में बोले, मनु बात तो तेरी ठीक है, मगर इतने बड़े शहर में अकेले रहना सेफ नहीं होगा। तू तो रोज की खबरें देख ही रही है।
पापा, मैं रह लूंगी। मुझे खुद पर कांफिडेंस है।
चल तेरी बात मान भी लेते हैं, मगर यह तो बता कि रहेगी कहां, काम क्या करेगी। कोई जॉब मिली क्या। पापा ने अगला सवाल उछाल दिया।
अभी तक तो नहीं, मगर मैं इंटरनेट पर तलाश कर रही हूं। जल्द ही कोई न कोई जॉब मिल ही जाएगी।
खैर यह चर्चा उस दिन वहीं खत्म हो गई। मानसी ठान चुकी थी कि उसे मुंबई जाना है, वहां की चमक-दमक के कारण नहीं बल्कि एक बेहतर भविष्य के लिए। उसने इंटरनेट पर तमाम कंपनियों में अपने बायोडाटा भेजना शुरू कर दिया और रहने के लिए भी जगह तलाशने लगी।
इस बीच उसके कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट हुआ और मानसी की खुशकिस्मती से मुंबई की एक बड़ी कंपनी में अच्छे पैकेज पर उसे असिस्टेंट मैनेजर की जॉब मिल गई। अब उसके सामने समस्या थी कि रहेगी कहां। क्योंकि होटल में रहकर तो गुजारा हो नहीं सकता। उसकी यह प्राब्लम प्लेसमेंट के लिए आए कंपनी के अफसरों में से एक लेडी अफसर ने हल कर दी। उन्होंने उसे एक वृद्ध दंपति के घर का पता दिया जो सिर्फ लड़कियों को ही पेईंग गेस्ट के रूप में रखते थे। मानसी ने उनसे फोन पर बात की और बात पक्की हो गई। अब मानसी मुंबई जाने की तैयारी करने लगी।
उसकी मां का मन अब भी नहीं मान रहा था। वह मानसी को समझाने की कोशिश में लगी रही कि इतने बड़े शहर में अकेले रहना सेफ नहीं होगा। मानसी को जो पैकेज मिला था, वह उसे किसी कीमत पर छोडऩे को तैयार नहीं थी। पापा ने चुप रहकर मानसी का साथ दिया और मानसी ने इंदौर छोड़ऩे की पूरी तैयारी कर ली।
रवानगी की एक रात पहले डिनर टेबल पर उसकी मां ने एक बार फिर समझाने की कोशिश की, मगर उसके पापा ने कहा कि
जाने दो जब उसे खुद पर भरोसा है तो उसे अपने तरीके से जीने दो।
देख लेना कुछ ऊंचनीच हो गई तो मुझे दोष मत देना। मम्मी भुनभुनाते हुए बोली।
मम्मा तुम भी ना। अरे रहने के लिए बढिय़ा जगह मिल गई है। बंगले में केवल अंकल-आंटी ही रहते हैं और मेरी जैसी छह-सात लड़कियां। मेरी वहां एक लड़की पलक से बात हुई है, उसने बताया कि अंकल-आंटी सबको अपनी बेटी की तरह प्यार करते हैं और उनकी देखभाल भी। तुम चिंता मत करो।
आखिर उसकी मां ने भी हथियार डाल ही दिए और कहा, जैसी तेरी मर्जी। पर अपना ध्यान रखना बेटी, कहीं गलत संगत में पड़कर हमारी नाक मत कटवा देना।