परदेशी भाग 30


कार कमल के घर के सामने जाकर रुकी। घर के बाहर ही कमल की मां को घेरे कुछ औरतें बैठीं थीं और वहां मातम सा छाया था। कार से उतरते ही बॉबी के जेहन को झटका सा लगा। उसे लगा मानो उसके अंदर कुछ टूट सा रहा है। वह धीमे-धीमे कदमों से कमल की मां के सामने पहुंची। उन्होंने बॉबी की तरफ सूनी नजरों से देखा और टूटे शब्दों में केवल इतना ही कहा,
अब क्या लेने आई हो।
क्या हुआ..? आप रो क्यों रही हो। बॉबी का दिल फट पडऩे को तैयार था।
तभी एक औरत बोली, कमल ने कल रात फांसी लगा ली।
इतना सुनते ही बॉबी को ऐसा लगा मानो आसमान फट पड़ा हो और उसका वजूद खत्म हो गया। वह वहीं धम्म से बैठ गई। तब तक कार से शारदा देवी और डॉक्टर अंकल भी उतर चुके थे। यह सुनकर उन्हें भी झटका सा लगा।
अचानक बॉबी उठी, उसकी आंखों से आंसू नहीं बह रहे थे। उसने केवल इतना पूछा, कहां है वह।
उसे तो गांव के श्मशान पर ले गए।
बॉबी तेजी से घूमी और बोली, मम्मी जल्दी चलिए नहीं तो उसे देख भी नहीं पाउंगी।
शारदा देवी ने केवल हां में सिर हिलाया। बेटी की यह हालत देखकर उनका दिल फटा जा रहा था। बॉबी की आंखों से आंसू न आना उन्हें चिंता में डाल रहा था।
बॉबी कार में बैठ चुकी थी। एक लड़का उन्हें रास्ता दिखाने के लिए साथ हो लिया और कार श्मशान की तरफ बढ़ चली।
बॉबी ने दूर से ही चिता को जलते हुए देख लिया था, उसका कलेजा फट गया। कार श्मशान के बाहर रुकी और बॉबी उतरकर कमल की चिता की तरफ बढ़ गई। शारदा देवी ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया। वह सूनी आंखों से मां को देखती रही।
कमल का बूढ़ा बाप आंखों में नफरत लिए शारदा देवी को निहार रहा था। बॉबी वहीं खड़ी कमल की चिता को जलते देखते रही।
तभी पंडित बोला, कपाल क्रिया का समय हो गया और अचानक जैसे बॉबी की तंद्रा टूटी। उसने मां के हाथ से अपना हाथ छुड़़ाया और बोली,
यह क्रिया मुझे करने दो।
पंडित कमल के पिता की तरफ देखने लगा। उस बूढ़े ने धीरे से सिर हिला दिया।
शारदा देवी अब तक नहीं समझ पा रही थीं कि बेटी को इस सदमे से बाहर कैसे लाएं। पंडित ने बॉबी के हाथ में बांस थमा दिया था। बॉबी बांस लेकर चिता की तरफ बढ़ी। अचानक उसने दौड़ लगा दी। यह देख शारदा देवी गला फाड़कर चिल्लाईं..
रोको उसे। मेरी ब...च्...ची रुक जा...आ..ा..ा... क्या कर रही है।
डॉक्टर अंकल सहित कई लोग बॉबी की तरफ दौड़ पड़े, कोई उसे पकड़ता इसके पहले उसने बांस का अगला सिरा जमीन पर टिकाया और लंबी छलांग लगा दी। वह सीधे चिता के बीच जाकर गिरी। यह देखकर शारदा देवी उस तरफ दौड़ पड़ीं, मगर उन्हें कुछ लोगों ने थाम लिया।
इधर आग की लपटें अचानक तेज हुईं और लपटों ने बॉबी को पूरी तरह छिपा लिया था, मानो कमल ने उसे अपनी बांहों में समा लिया हो।
शारदा देवी बेहोश होकर लोगों की बांहों में झूल गई।
कई साल बाद भी कमल और बॉबी की प्रेम कहानी उस गांव में बसी है। कई लोगों ने तो दोनों की आत्माओं को एक-दूसरे का हाथ थामे श्मशान में टहलते देखने का भी दावा किया।

the end