परदेशी भाग 23


घर पहुंचते ही शारदा देवी के मुंह से जैसे गुर्राहट निकली....तो इसलिए उस लड़के की इतनी सिफारिश कर रही थी। कब से चल रहा है यह सब।
जी... म...म्म...मी..। बॉबी केवल इतना ही कह पाई थी कि तड़ाक....शारदा देवी का हाथ घूमा और बॉबी के गाल पर जोरदार तमाचा पड़ा। उसकी आंखों के सामने लाल-पीले तारे नाच उठे।
शारदा देवी फिर दहाड़ीं... यह सब गांव से ही चल रहा है न..?
...म...म्म...मी...व...वो....बॉबी के मुंह से आवाज नहीं निकल पा रही थी।
आज से तुम्हारा कॉलेज जाना बंद। घर से निकलना ही बंद। शारदा देवी बॉबी का हाथ पकड़कर उसे घसीटते हुए बोली। आज से तुम इसी घर में कैद होकर रहोगी।
इतना कहकर उन्होंने बॉबी को उसके कमरे में बंद कर दिया और जोर से चिल्लाईं...रामू...जग्गा....।
उनकी आवाज सुनकर दो हट्टे-कट्टे लट्ठधारी नौकर उनके सामने खड़े थे।
तुम दोनों इस पर नजर रखोगे। यह इस घर की चारदीवारी से बाहर कदम न रख सके। कोई और आए तो उसके हाथ-पैर तोड़ देना।
इतना कहकर शारदा देवी पैर पटकते हुए वहां से निकल गईं। बॉबी बिस्तर पर पड़ी सिसक रही थी। उसके मुंह से बुदबुदाहट निकल रही थी... कमल यह क्या हो गया। अब हम कैसे मिलेंगे..?
अगले दिन कमल कॉलेज पहुंचा तो उसकी नजरें बॉबी को ही ढंूढ रही थीं। शारदा देवी के जाने के बाद प्रिंसिपल ने तुरंत कॉलेज और आसपास की दीवारों पर लिखे नारों को पुतवा दिया था। पूछताछ में जब सामने आया कि इसके पीछे रंजीत और विनोद का हाथ है तो दोनों को तुरंत कॉलेज से निकाल दिया। कमल को पता नहीं चल पाया कि कॉलेज में क्या चल रहा है। कॉलेज में घुसते ही दबे स्वर में लड़के-लड़कियों के कटाक्ष सुन उसे अंदाजा तो हो गया कि उसे और बॉबी को लेकर बातें हो रही हैं। वह पूरे कॉलेज का चक्कर काट आया मगर बॉबी कहीं नहीं दिखी। क्लास में उदास चेहरा लिए बैठा था कि तभी मधु उसके पास पहुंची और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोली...
बॉबी का रास्ता देख रहे हो।
कमल ने सूनी नजरें उसकी तरफ उठा दीं। कमल की आंखों में दर्द देखकर मधु का दिल भी पिघलने लगा।
वह अपनत्व भरे स्वर में बोली... बॉबी अब कॉलेज नहीं आएगी। मैंं उन्हें जानती हूं, उसकी मां कल बहुत गुस्से में थीं और अब वह पढ़ाई भी नहीं कर पाएगी। 
यह सुनकर कमल का मन बैचेन हो गया। वह मधु के सामने हाथ जोड़ते हुए बोला, प्लीज मुझे एक बार बॉबी से मिलवा दो मधु। फिर तुम जो कहोगी मैं करूंगा।
उसकी जरूरत नहीं है कमल। बॉबी के घर अब मैं भी नहीं जा सकती और मैं जानती हूं कि उसका घर से निकलना तक बंद कर दिया गया होगा। मैं कुछ नहीं कर सकती। इतना कहकर तेजी से पलकर मधु वहां से चली गई। उससे कमल का दर्द देखा नहीं जा रहा था।
कमल सूनी आंखों से मधु का जाता देखता रहा। उसका मन कर रहा था कि वह अभी उड़कर बॉबी के पास पहुंच जाए और उसे अपनी बांहों में लेकर उसका सारा दर्द मिटा दे, मगर वह ऐसा नहीं कर पाया।
यूं ही पूरा एक सप्ताह गुजर गया। इस पूरे सप्ताह कमल कॉलेज तो आता मगर एक दिन भी क्लास में नहीं बैठा। बस बगीचे में बैठा रहता, मानो बॉबी अभी आएगी और पीछे से उसे बांहों में भर लेगी। अब उसका मन बगावत करने लगा था। वह बॉबी से मिलने को तड़प रहा था।
उधर बॉबी की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। वह पूरे दिन अपने ही कमरे में कैद रहती। उसे बाहर बगीचे तक में आने की इजाजत नहीं थी। शारदा देवी के लठैत पूरे समय उस पर नजर रखते। उसे घर की डेहरी तक नहीं पार करने देते। उसका खाना उसी के कमरे में पहुंच जाता। इस एक सप्ताह में उसने अपनी मां से एक बार भी बात नहीं की और न ही शारदा देवी उससे बोली। बगावत बॉबी का मन भी कर चुका था। वह घर की दीवारें तोड़कर बस कमल के पास चली जाना चाहती थी।