नंगी लड़कियां...5


इधर मानसी को खबर भी नहीं थी कि उसके उस जिस्म का दीदार किया जा चुका है, जिसे उसने और उसके पैरेंट्स ने अब तक मनचलों की बुरी नजर से बचाकर रखा था। मानसी जितनी एडवांस थी, उतनी ही संस्कारी भी। को-एजुकेशन कॉलेज में होने के बाद भी उसका कोई भी क्लोज ब्याय फ्रेंड नहीं था। कॉलेज के साथियों से उसकी दोस्ती तो थी मगर एक दायरे में। दायरे से आगे उसने कभी किसी को नहीं बढऩे दिया। आज उसका वह जिस्म एक अनजान शख्स के सामने पूरा का पूरा नुमायां हो चुका था, जिसे शायद खुद उसने भी कभी पूरी तरह गौर से नहीं देखा होगा। इस बात से बेखबर होकर वह चादर तानकर बिस्तर पर सो रही थी। और उसकी सांसों की हलकी आवाज ही कमरे में थी।
उसके सुंदर मासूम चेहरे पर हलकी सी मुसकान थी, शायद वह कोई सुंदर सपना देख रही थी। अचानक दरवाजा पर किसी ने खटखटाया तो उसकी नींद में खलल आया। काफी देर तक लगा कि वह सपना ही देख रही है और सपने में ही से यह आवाज आ रही है, मगर जब दरवाजे को तेजी से पीटा गया तो अचानक उसकी नींद टूट गई। उसने देखा कुछ देर दरवाजे की तरफ देखा फिर उठकर खोल दिया। सामने पलक खड़ी थी। वह बोली-
अरे कब तक सोती रहोगी, चलो नाश्ता नहीं करना क्या।
हां भूख भी लग रही है। तुम एक मिनिट रुको मैं मुंह धो लूं। इतना कहकर मानसी बाथरूम में घुस गई। कुछ ही देर में वह लौट आई। दोनों नीचे उतरने लगे। सामने डायनिंग टेबल पर अंकल-आंटी के साथ सभी लड़कियां भी बैठी थीं। घर की एकमात्र आया या केयर टेकर नाश्ता लगा रही थी। दोनों को देखकर अंकल बोल उठे,
आओ मानसी, नींद ठीक आई। अब तो तरोताजा लग रही हो।
हां अंकल, रात की नींद तो रात में ही पूरी होगी, मगर थकान अब नहीं है।
ठीक है, आओ बैठो। नाश्ता करो।
तभी आंटी बोली, मानसी यहां का नियम है, कि सुबह नाश्ता सब एक साथ करते हैं। इसके बाद सब अपने-अपने काम पर निकल जाती हैं। रात को ही सब मिलती हैं और डिनर भी साथ ही लेते हैं।
जी आंटी, मुझे याद रहेगा, मानसी बोली।
इसके बाद मानसी और पलक एक तरफ की कुर्सियों पर बैठ गए और नाश्ता शुरू हो गया। सबने चुपचाप नाश्ता किया। आया ने बर्तन समेटे और सभी लड़कियां एक-एक कर निकलने लगीं। आंटी ने मानसी से पूछा,
तुम कब से ऑफिस जाओगी।
कल से ही ज्वाइन करना है, आंटी। आज तो पूरे दिन घर पर ही रहुंगी।
ठीक है।
तभी पलक ने पूछा तुम्हारा ऑफिस कहां है?
यहीं बोरीवली में ही है। इतना कहकर मानसी ने एड्रेस बता दिया।
अरे वाह तुम्हारा ऑफिस तो उसी सड़क पर है, जहां मैं काम करती हूं। चलो साथ हो जाएगा। मानसी ने कहा- अच्छा चलो तुम आराम करो, मैं निकलती हूं। शाम को मिलते हैं।
ओके बाय, मानसी ने कहा और वह ऊपर की तरफ बढ़ गई।
तभी अंकल ने टोका, अरे मानसी फार्म भर दो और अपना एक फोटो भी दे दो।
जी अंकल मानसी ने कहा, फिर जैसे उसे कुछ याद आया और बोली, ठहरिए मैं रूम से किराए के पैसे भी ले आती हूं।
इतना कहकर मानसी ऊपर चली गई और कुछ ही देर में किराए के पैसे लेकर लौट आई। अंकल ने उसे एक फॉर्म दिया। उसने फिलअप किया। अपना फोटो लगाया और किराए के पैसे के साथ फॉर्म अंकल को लौटा दिया। अंकल बोले,
चलो यह काम तो हो गया। मैं इस फॉर्म को थाने पर दे आऊं।
जी, मानसी ने कहा और वह ऊपर चली गई। वह कुछ देर और सोना चाहती थी। पूरे दिन मानसी सोती रही। लंच के समय उठी और लंच के बाद फिर सो गई। शाम तो जरूर थोड़ा बाहर निकली, तो गेट पर ही रंजन से सामना हो गया। रंजन उसे अजीब सी नजरों घूरकर देख रहा था। मानो वह उसे आंखों में ही निगल जाना चाहता हो। उसने मानसी को विश किया, मानसी ने भी धीरे से सिर हिला दिया और उसके बगल से निकल गई। रंजन कहां पीछा छोडऩे वाला था, वह भी मानसी के साथ हो लिया। उसने ही बात शुरू  की,
कहां जा रही हो।
कहीं नहीं बस यहीं थोड़ा घूम लूं। सुबह से कमरे में बंद थी।
चलो मैं भी साथ चलता हूं, तुम्हें कहां पता होगा कि किस तरफ जाना है।
देखो रंजन तुम ज्यादा फ्लर्ट करने की कोशिश मत करो। यहां तुम्हारी दाल नहीं गलने वाली। मैं चली जाउंगी।
मानसी ने रुखाई से कहा और जवाब का इंतजार किए बिना आगे बढ़ गई। कुछ ही देर इधर-उधर घूमकर लौट आई। हॉल में आंटी टीवी देख रहीं थीं। वह उन्हीं के साथ बैठकर टीवी देखने लगी। दोनों में इधर-उधर की सामान्य बातें होती रहीं। इन बातों में आंटी ने मानसी और उसके पूरे परिवार के बारे में जानकारी ले ली और मानसी को आंटी-अंकल के बारे में पता चल गया। तब तक लड़कियां एक-एक कर आने लगी। कुछ ही देर बाद पलक भी आ गई और मानसी को हैलो बोलकर सीधे अपने रूम में चली गई।